दिल्ली: कैंसर कॉलोनी की कहानी, डॉक्टर ने हाथ कटवाने के लिए कह दिया

फ़िलहाल वो पीने के पानी की सप्लाई का काम करती हैं. उनके दो विवाहित बच्चे हैं लेकिन वो अपना इलाज नहीं करा रही हैं और अपना पैसा बच्चों के लिए बचा रही हैं.इसकी वजह वो बताती हैं, “अगर अपने ऊपर ख़र्चा करती हूँ तो घर पर बच्चों के लिए कुछ भी नहीं रहता, और अगर नहीं करती हूँ तो जीने की उम्मीद हर किसी को मरते टाइम तक ये रहती है कि हमें ज़िंदगी और मिले चाहे जिस भी कंडीशन में हो…”

पिंकी शर्मा कहती हैं, “कभी-कभी दर्द होता है, चुभन होती है पर मैं उसे इग्नोर करती हूँ…”लहाल वो पीने के पानी की सप्लाई का काम करती हैं. उनके दो विवाहित बच्चे हैं लेकिन वो अपना इलाज नहीं करा रही हैं और अपना पैसा बच्चों के लिए बचा रही हैं.

इसकी वजह वो बताती हैं, “अगर अपने ऊपर ख़र्चा करती हूँ तो घर पर बच्चों के लिए कुछ भी नहीं रहता, और अगर नहीं करती हूँ तो जीने की उम्मीद हर किसी को मरते टाइम तक ये रहती है कि हमें ज़िंदगी और मिले चाहे जिस भी कंडीशन में हो…”

पिंकी शर्मा कहती हैं, “कभी-कभी दर्द होता है, चुभन होती है पर मैं उसे इग्नोर करती हूँ…”फ़िलहाल वो पीने के पानी की सप्लाई का काम करती हैं. उनके दो विवाहित बच्चे हैं लेकिन वो अपना इलाज नहीं करा रही हैं और अपना पैसा बच्चों के लिए बचा रही हैं.

इसकी वजह वो बताती हैं, “अगर अपने ऊपर ख़र्चा करती हूँ तो घर पर बच्चों के लिए कुछ भी नहीं रहता, और अगर नहीं करती हूँ तो जीने की उम्मीद हर किसी को मरते टाइम तक ये रहती है कि हमें ज़िंदगी और मिले चाहे जिस भी कंडीशन में हो…”

पिंकी शर्मा कहती हैं, “कभी-कभी दर्द होता है, चुभन होती है पर मैं उसे इग्नोर करती हूँ…”

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